नई दिल्ली भारतीय रेल के सबसे भव्य इमारत वाला रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (पहले विक्टोरिया टर्मिनस) को खरीदने में अडाणी (Adani) भी इच्छुक हैं। इससे पहले वह राष्ट्रीय राजधानी (National Capital) नई दिल्ली में कनॉट प्लेस (CP) के पास स्थित नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को खरीदने के लिए भी अपनी रूचि दर्शा चुके हैं।

शिवाजी टर्मिनस को खरीदने में 43 कंपनियों की रूचि
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के निजीकरण के सिलसिले में आज डिजिटल प्लेटफार्म पर एक प्री बिड मीटिंग का आयोजन हुआ। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में रेलवे बोर्ड के चेरमैन एवं सीईओ वी के यादव भी उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि इस बैठक में अडाणी (Adani) के प्रतिनिधि के साथ साथ टाटा प्रोजेक्ट्स , जीएमआर एल्डेको, जेकेबी इंफ्रास्ट्रक्चर, एल एंड टी (L&T), एस्सेल (Essel) ग्रुप जैसी कंपनियों ने भाग लिया। इसमें हफीज कांट्रेक्टर, बीडीपी सिंगापुर जैसे विश्व प्रसिद्ध आर्किटेक्ट के प्रतिनिधि ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में भी अडाणी की रूचि
रेल मंत्रालय के रेल लैंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (RLDA) ने बीते दिनों नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के निजीकरण के सिलसिले में जो प्री-बीड मीटिंग का आयोजन किया था, उसमें भी अडाणी समूह के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में लखनऊ, जयपुर और अहमदाबाद समेत देश के छह हवाई अड्डों का निजीकरण किया है, वह सब के सब अडाणी ने ही लिए हैं।

PPAC से मिल चुकी है पहले ही मंजूरी
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस की निजीकरण परियोजना को पहले ही पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप एप्रेजल कमेटी (PPPAC) की सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। अब, इसके लिए बोली प्रक्रिया शुरू की गई है। इस प्रक्रिया में चयनित बोलीदाता को इस स्टेशन के रिडेवलपेंट की जिम्मेदारी मिलेगी। साथ ही उन्हें आसपास की रेलवे की जमीन भी मिलेगी, जिस पर वाणिज्यिक और आवासीय निर्माण किये जाएंगे। साथ ही कंशेसन बेसिस पर स्टेशन के आपरेशन एवं मेंटनेंस की जिम्मेदारी भी चयनित कंपनी की ही होगी।

गोथिक शैली में हुआ निर्माण
वर्ष 1887 में विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से बने इस स्टेशन की बिल्डिंग को बनाने में उस समय 16.13 लाख रुपए की लागत आई थी। इस भवन का निर्माण भारतीय वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए गोथिक शैली में किया गया है। यह इंग्लिश के अक्षर ‘सी’ के आकार में संतुलित तथा योजनाबध्द तरीके से पूर्व और पश्चिम दिशा में बनाया गया है। इस बिल्डिंग का मुख्य आकर्षण इसका केंद्रीय गुंबद हैं, जिसके ऊपर ग्रोथ को दर्शाने वाली 16 फीट 6 इंच बड़ी प्रतिमा लगी है।

चार बार बदला जा चुका है इसका नाम
अंग्रेजों ने जब भारत में रेल का परिचालन शुरू किया, तब मुंबई के बोरीबंदर इलाके में बने इस स्टेशन को बोरीबंदर स्टेशन के नाम से जाना जाता था। वह इलाका ग्रेट इंडियन पेनिनस्यूला रेलवे के पास था। उसने नए सिरे से स्टेशन के निर्माण के लिए मई 1878 में काम शुरू किया था और यह 1888 में बनकर तैयार हो गया। सन् 1887 में महारानी विक्टोरिया के शासन की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस भवन का नाम ‘विक्टोरिया टर्मिनस’ रखा गया बाद में सन् 1996 में इसका नाम विक्टोरिया टर्मिनस से बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रखा गया। बाद में इसका नाम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस कर दिया गया।

वहीं हुआ था सबसे बड़ा आतंकी हमला
वर्ष 2008 में मुंबई पर बड़ा आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में सबसे पहले सीएसएमटी को ही टार्गेट किया था। आतंकवादी अजमल कसाब और उसके साथियों की वहां हुई फायरिंग में 58 लोगों की मौत हुई थी। उस हमले की वजह से वह रेलवे स्टेशन सुर्खियों में आया था।