AAP, BJP या Congress, कौन जीतेगा दिल्ली का दंगल? C Voter के सर्वे में सामने आए ये आंकड़े

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कौन बाजी मारेगा, यह सब 8 फरवरी को नतीजे आने के बाद ही पता लगेगा? सी वोटर का सर्वे सामने आया है। सभी राजनैतिक दल लोगों को लुभाने के लिए अलग-अलग दावे कर रहे हैं।

Delhi Assembly Elections 2025

Delhi Assembly Elections: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को वोटिंग होगी, 8 फरवरी को नतीजों का ऐलान किया जाएगा। दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी, इसका पता तो रिजल्ट के बाद लगेगा? दिल्ली में जीत के लिए आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस लोगों के बीच अलग-अलग दावे कर रही हैं। एबीपी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार सी वोटर के फाउंडर यशवंत देशमुख के मुताबिक पूरी बाजी महिलाओं के हाथ में हैं।

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सभी पार्टियां जीत के लिए महिलाओं पर फोकस कर रही हैं। महिलाओं के बीच सर्वे किया जाएगा कि वे किस पार्टी के पक्ष में हैं? विभिन्न पार्टियों ने महिलाओं को लुभाने के लिए हर महीने खाते में पैसे देने का ऐलान किया है। सी वोटर फाउंडर के अनुसार अब तक के सर्वे में पुरुष वोटरों के बीच कांटे का मुकाबला दिखा है। महिला वोटर आप के साथ दिख रही हैं। अगर ये लीड बनी रही तो हो सकता है कि आप की सीटें घट जाएं, लेकिन वह सरकार बना सकती है।

भाजपा को लेकर सर्वे में क्या?

महिलाओं के बीच आप और बीजेपी में लगभग 8-10 फीसदी का गैप है। केजरीवाल की पार्टी और बीजेपी दोनों ही महिलाओं को साधने के लिए कोशिशें कर रही हैं। आप की बिजली, मोहल्ला क्लीनिक, पानी जैसी योजनाएं महिलाओं की बीच पैठ बनाने में सफल रही हैं। सी वोटर सर्वे के 15 जनवरी के आंकड़ों के मुताबिक 51 फीसदी वोटर आप के पक्ष में हैं। ये सरकार नहीं बदलना चाहते। वहीं, 45 फीसदी लोग मानते हैं कि सरकार में बदलाव होना चाहिए। सर्वे के मुताबिक सरकार बदलने की मांग रखने वाले लोग कांग्रेस के बजाय बीजेपी को तरजीह दे रहे हैं।

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भाजपा का वोट शेयर और सीटों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। भाजपा के स्टार प्रचारकों, जातिगत समीकरणों और हिंदुत्व के मुद्दे की वजह से वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है। बीजेपी चुनाव में सीएम आतिशी को घेरने के लिए अफजल गुरु का मुद्दा उठा चुकी है। हालांकि ये सिर्फ सर्वे है, असल में स्थिति नतीजे आने के बाद ही स्पष्ट होगी। सी वोटर सर्वे के 6 जनवरी के आंकड़ों में बताया गया था कि 46 फीसदी लोग सरकार बदलना चाहते हैं और 49 फीसदी सरकार नहीं बदलना चाहते हैं। पिछली बार की तुलना इस बार आम आदमी पार्टी को थोड़ा फायदा हुआ है।

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