मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में एआई (ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का जादू’ विषय पर फिल्म उद्योग में प्रौद्योगिकी के फायदे और नुकसान पर चर्चा हुई

मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) 2024 में फिल्म उद्योग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के परिवर्तनकारी प्रभाव पर एक ज्ञानवर्धक पैनल चर्चा हुई। ‘द मैजिक ऑफ एआई’ शीर्षक से सत्र में फिल्म निर्माण में एआई तकनीक के दायरे, एप्लिकेशन्स और नैतिक विचारों पर ध्यान केंद्रित किया गया। पैनलिस्टों ने एआई के फायदे और संभावित कमियों दोनों पर चर्चा की, और उद्योग पर इसके प्रभाव का व्यापक अवलोकन प्रदान किया।

पैनल में फिल्म उद्योग और एआई विशेषज्ञों की प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल थीं, जिनमें त्रिवेंद्रम के वरिष्ठ फिल्म निर्माता और एआई विशेषज्ञ शंकर रामकृष्णन, सोसाइटी ऑफ मोशन पिक्चर एंड टेलीविजन इंजीनियर्स, इंडिया के अध्यक्ष और नेशनल फिल्म हेरिटेज मिशन के तकनीकी सलाहकार उज्ज्वल निरगुडकर, फायरफ्लाई क्रिएटिव स्टूडियो के सह-संस्थापक और निदेशक सनथ पीसी और चितकारा विश्वविद्यालय में एनीमेशन और डिजाइन के डीन संजय जांगिड़ शामिल थे।

 

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शंकर रामकृष्णन ने फिल्म निर्माण में एआई की दक्षता पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि एआई फिल्म सेट पर कई कार्यों को सटीकता के साथ कर सकता है, जिससे प्रत्येक कार्य के लिए आवश्यक समय कम लगता है। उन्होंने बताया कि एआई मानव श्रम की आवश्यकता को कम करता है, लेकिन यह लोगों को तकनीक पर अत्यधिक निर्भर बनाने का जोखिम भी पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा, “एआई केवल एक क्लिक से सभी प्रकार के कामों को कर सकता है, लेकिन इसमें हमारे लिए हमारा काम करके हमें आलसी बनाने की क्षमता भी है।”

उज्ज्वल निरगुनकर ने प्रौद्योगिकी के तेजी से विकास और निरंतर अपडेट की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने पारंपरिक एआई, जो पूर्वानुमान लगाने के लिए डेटा में पैटर्न पर निर्भर करता है, और जनरेटिव एआई, जो नए, समान डेटा बनाने के लिए मौजूदा डेटा से सीखता है, के बीच अंतर को समझाया। उन्होंने फिल्म उद्योग में नए लोगों और छोटे रचनाकारों के लिए खेल के मैदान को बराबर बनाने के लिए एआई की क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अगर स्टोरीबोर्ड तैयार हैं तो एआई परियोजनाओं के लिए आवश्यक घटकों का सुझाव कैसे दे सकता है, लेकिन आगाह किया कि इसका उपयोग नैतिक रूप से किया जाना चाहिए।

 

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सनथ पी.सी. ने एआई की स्व-विचार क्षमताओं और फिल्मों में कहानी कहने को बढ़ाने में इसकी भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने जिम्मेदार के साथ इसके उपयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कैसे कोई भी सॉफ्टवेयर या तकनीक मनुष्यों द्वारा नियंत्रित होती है और हमारी ज़रूरतों के अनुसार उसमें बदलाव किया जा सकता है। उन्होंने दर्शकों को याद दिलाया कि एआई का जिम्मेदारी से उपयोग करना हमारी ज़िम्मेदारी है।

 

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संजय जांगिड़ ने एआई के संभावित प्रभाव की तुलना बिजली, इंटरनेट और मोबाइल फोन जैसी पिछली तकनीकी क्रांतियों से की। उन्होंने नैतिक उपयोग के महत्व पर जोर दिया, एआई को शॉर्टकट के रूप में इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी दी। उनका कहना था कि, “यदि आप कचरा अंदर डालते हैं, तो आपको कचरा ही मिलेगा। हमें एआई का उपयोग सावधानी से और केवल अच्छे उद्देश्यों के लिए करना चाहिए।”

चर्चा ने फिल्म उद्योग में क्रांति लाने की एआई की क्षमता को रेखांकित किया, साथ ही नैतिक विचारों और जिम्मेदार उपयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। पैनलिस्टों की अंतर्दृष्टि ने एआई के युग में फिल्म निर्माण के भविष्य पर मूल्यवान दृष्टिकोण प्रदान किए।

 

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