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Ladki को भरपूर सेक्स दो
और उसकी सभी जरूरतें पूरी करूं तो जीवन अच्छे से कटेगा
और मैं पूरी तरह से शादी करने के लिए तैयार था। मेरा खुद का व्यापार है, तो मुझे ऐसी लड़की चाहिए थी, जो स्मार्ट हो और व्यापार में मेरा काम संभाल सके, 10 लोगों के साथ उठना-बैठना जानती हो। कई लड़कियों को देखने के बाद अंजली से मेरी शादी हुई। अंजली दिखने में किसी परी से कम नहीं थी, सुंदरता के साथ दिमाग भी तेज था।
शादी के पहले तीन महीनों में मैंने उसे खूब खुश रखा, हमारे बीच जिस्मानी संबंध बहुत अच्छे थे। मुझे लगता था कि मुझे ऐसी लड़की मिल गई है जो बिना बोले मेरी जरूरत समझती है। एक अच्छे शादीशुदा रिश्ते के लिए शारीरिक सुख का होना बहुत जरूरी है। लेकिन धीरे-धीरे सेक्स से भी मन हटने लगा और काम के दबाव की वजह से भी इसका मन नहीं करता था।
लेकिन असली दिक्कत अब शुरू हुई। अंजली की डिमांड थी कि हम अपने माता-पिता से अलग एक फ्लैट में रहें। मैंने पूछा, “क्यों, ऐसा क्या दिक्कत है?” उसने जवाब दिया, “मुझे प्राइवेसी चाहिए, जो मम्मी-पापा के रहते पॉसिबल नहीं है।” मैंने कहा, “अरे कैसी प्राइवेसी? अपना घर है, अपना कमरा है, जैसे मन करो वैसे रहो।”
उसने कहा, “तुम्हें जितना आसान लगता है उतना नहीं है। तुम घर में क्या पहनते हो?” मैंने जवाब दिया, “निक्कर और बनियान।” वह बोली, “हां, तो मैं नहीं पहन सकती। अगर तुम हो तो पहन लूंगी, पर मम्मी-पापा के सामने नहीं। तुम्हें जैसे मन करता है तुम वैसे रहते हो, लेकिन मुझे दिन भर कुर्ती, लेगिंग, सलवार सूट ये सब पहनना होता है।”
मैंने पूछा, “तो क्या इसमें तुम कम्फर्टेबल नहीं हो?” उसने जवाब दिया, “हूं, लेकिन जितना शर्ट्स और टी-शर्ट में रहती हूं उतना नहीं हूं। जब मैं मायके जाती हूं तो पापा हो या मम्मी, आराम से निक्कर और टी-शर्ट पहनकर सोफे पर बैठ जाती हूं। लेकिन यहाँ मुझे मर्यादा में रहना पड़ता है, कहने को तो अपना घर है पर फिर भी ऐसा लगता है जैसे किसी पब्लिक प्लेस पर हूं।”
मुझे लगा, “यार, बात तो सही कह रही है ये।” मैंने इस बारे में अपने मां-पापा से बात की। पापा को कोई आपत्ति नहीं थी, पर मां राजी नहीं हुईं। उन्होंने कहा कि मेरा घर है, बहु को मेरे हिसाब से रहना होगा।
अब मैं इस दुविधा में था कि मां मेरी अपनी हैं जिन्होंने मुझे जन्म दिया है, पत्नी वो है जिसके साथ आगे की पूरी जिंदगी कटनी है। शादी को 8 महीने ही हुए हैं और पत्नी चाहती है कि मैं अलग रहूं, छोटे कपड़े पहनूं, मां चाहती हैं कि पत्नी उनके हिसाब से रहे। इस कारण दोनों में काफी अनबन होती है, जिसका खामियाजा मुझे भुगतना पड़ता है।
इसी दौरान मेरी नजर एक दिन अंजली के फोन पर गई और इंस्टाग्राम खुला हुआ था, जिसमें एक कपल जो IIT से पढ़ा-लिखा था, रील बना कर बता रहा था कि क्यों लोगों को अपने मां-बाप से अलग रहना चाहिए। एक बार स्क्रॉल किया तो नई रील आई, जिसमें बताया जा रहा था कि कैसे सास-ससुर के रहने से लड़कियों की आजादी छिन जाती है। तीसरी बार किया तो एक रील आई जिसमें बताया जा रहा था कि कैसे मां-बाप से अलग रहने पर आपस में प्यार बढ़ता है।
मैं तुरंत समस्या समझ गया कि वास्तव में दिक्कत प्राइवेसी या प्यार का नहीं है, दिक्कत है आजकल के क्रिएटर्स जो कुछ भी मन में आए वो बना देते हैं। मैंने सोचा, भले ही बना रहे हैं, पर बात तो सही कह रहे हैं। फिर मैंने अलग-अलग सोर्स से यह जानने की कोशिश की कि मां-बाप क्या चाहते हैं। जवाब मिला कि मां-बाप अपने बुढ़ापे में बस हमारा साथ चाहते हैं।
मैं स्तब्ध था और सोचा, किसी भी कीमत पर मां-बाप को छोड़ना सही नहीं है। बल्कि सही लड़की से शादी करना ज्यादा जरूरी है। और लड़की हो या लड़का, बच्चे या मां-बाप, उन्हें इन बेफिजूल के रील वाले कल्चर से अलग रखना चाहिए।
उस दिन के बाद से मैंने अपनी पत्नी को साथ में ऑफिस लाना शुरू किया। जब भी वह रील देखती, मैं उसे कोई काम दे देता, जिससे वह फोन नीचे रख देती। ऑफिस में बड़े डॉक्टर आते, उन्होंने भी रील से होने वाले नुकसान को बताया। धीरे-धीरे अंजली ने रील देखना बंद कर दिया और अलग घर में रहने या प्राइवेसी की समस्या भी खत्म हो गई।
आज भी कभी-कभी उसे छेड़ने के लिए बोल देता हूं कि “अलग घर ले लेते हैं, तुम्हें छोटे कपड़े पहनने में दिक्कत होगी,” तो वह मुझे आंखें दिखाने लगती है। दोस्तों, यह समस्या सभी के घर में है। एक बार जरूर देखिए कि यह मोबाइल अनजाने में हमारे परिवार, संस्कार और संस्कृति को तोड़ने का काम कर रहा है।