फारूक अब्दुल्ला

J-K में आर्टिकल 370 की होगी वापसी नेशनल कॉन्फ्रेंस बनी सबसे बड़ी पार्टी समझिए आगे की राजनीति

 जम्मू और कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने अपने बेटे को मुख्यमंत्री नामित किया है। बीजेपी बहुमत से काफी दूर रह गई है। निर्दलीय उम्मीदवारों का आंकड़ा भी सात पर सिमट गया है।

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फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का जनादेश दिल्ली के फैसले के खिलाफ है।

Farooq Abdullah on Article 370: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। नेशनल कॉन्फ्रेंस 42 सीटें जीतती हुई दिख रही है। पार्टी 39 सीटों पर जीत गई है। उसे 3 सीट पर बढ़त हासिल है। कांग्रेस को राज्य में 6 सीटें मिली हैं। वहीं पीडीपी को 3 सीटों पर जीत मिली है। अन्य उम्मीदवारों के खाते में 7 सीटें आई हैं। आम आदमी पार्टी को एक और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस को एक सीट मिली है। बीजेपी को राज्य में 27 सीटों पर जीत मिली है। वह दो सीटों पर आगे है।

 

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आर्टिकल 370 हटने के बाद पांच साल बाद हुए चुनाव के नतीजों के बाद अब चर्चा ये है कि क्या आर्टिकल 370 की वापसी होगी? नतीजों के बाद इस सवाल पर बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि जनादेश 5 अगस्त 2019 के नई दिल्ली के फैसले के खिलाफ है। लोगों ने उस फैसले को स्वीकार नहीं किया है। अब्दुल्ला ने कहा कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला राज्य के सीएम का पद संभालेंगे।

सीनियर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें खुशी है कि कश्मीर घाटी और जम्मू के कुछ हिस्सों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने क्लीन स्वीप किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने अपनी मनमानी करते हुए जम्मू और कश्मीर पर अपना फैसला थोपा था।

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370 पर सुप्रीम कोर्ट जाने का किया था ऐलान

चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के वादों पर पलटवार करते हुए फारुक अब्दुल्ला ने कहा था कि आर्टिकल 370 की बहाली के लिए वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। हालांकि कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन आर्टिकल 370 के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मूक सहमति जताता रहा है। लेकिन बीजेपी आर्टिकल 370 की बहाली के खिलाफ है। चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के तमाम नेताओं ने खुलकर कहा था कि 370 अब बीते जमाने की बात है, और उसकी बहाली संभव नहीं है। बीजेपी के स्टैंड को देखें तो जब तक केंद्र में उसकी सरकार है, 370 की बहाली मुश्किल है।

अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए संसद से विधेयक पास कराना होगा और बीजेपी के सत्ता में रहते हुए ये संभव नहीं है, भले ही केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में किसी की भी सरकार हो। हालांकि तमाम राजनीतिक पार्टियों के पास कोर्ट जाने का रास्ता खुला है और नेशनल कॉन्फ्रेंस भी यही बात कहती रही है। देखना होगा कि संसद के फैसले पर सुप्रीम क्या स्टैंड लेता है।

वहीं कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 370 पर कोई वादा नहीं किया था, पार्टी ने कहा था कि वह पूर्ण राज्य के दर्जे को बहाल कराने की लड़ाई लड़ेगी। वहीं बीजेपी ने कहा था कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा सिर्फ बीजेपी ही दे सकती है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन को स्पष्ट बहुमत के बाद देखना ये है कि राज्य में उमर अब्दुल्ला किस तरह शासन चलाते हैं। उनके सामने आर्टिकल 370 और राज्य का दर्जा वापस पाने जैसे दो बड़े मुद्दे हैं। हालांकि केंद्रशासित प्रदेश में उपराज्यपाल के पास भी बड़ी शक्तियां हैं। उमर अब्दुल्ला को उनसे भी पार पाना होगा।