संन्यास लेने के बाद भी एक्टिंग कर सकेंगी Mamta Kulkarni, इस तरह तय हुआ ‘महामंडलेश्वर’ बनने का सफर

Mamta Kulkarni किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण ने कहा कि संन्यास लेने के बाद भी ममता अगर चाहें तो वह एक्टिंग कर सकती हैं, लेकिन उन्हें केवल जानिए अभिनेत्री को किन नियमों का करना पड़ेगा पालन?

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How Mamta Kulkarni became Shri Yamai Mamta Nandgiri: अभिनत्री ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गईं हैं। प्रयागराज से गंगा स्नान करते हुए भी उनकी फोटो वायरल हो रही हैं। इस खबर के आने के बाद सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा है। लोग पूछ रहे हैं कि ममता कैसे किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गईं? क्या संन्यास लेने के बाद भी वह बॉलीवुड पार्टियों में नजर आएंगी या एक्टिंग करेंगी।

शुक्रवार को इन सब सवालों के जवाब उनकी आचार्य गुरू और किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर Laxmi Narayan ने दिए। मीडिया से बात करते हुए लक्ष्मी नारायण ने कहा कि किन्नर अखाड़ा ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने जा रहा है। अब उनका नाम श्री यमाई ममता नंदगिरी रखा गया है।

 

अखाड़े किसी को अपनी कला दिखाने से नहीं रोकते हैं

आगे लक्ष्मी नारायण ने कहा कि सभी अनुष्ठान चल रहे हैं। वह पिछले डेढ़ साल से किन्नर अखाड़े और मेरे संपर्क में हैं। आगे उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि ममता अगर चाहें तो महामंडलेश्वर बनने के बाद एक्टिंग जारी रख सकती हैं, लेकिन उन्हें केवल किसी धार्मिक पात्र का किरदार ही निभाना होगा। अखाड़े किसी को भी अपनी कला दिखाने से नहीं रोकते हैं।

वृंदावन में रहेंगी ममता, पहले जूना अखाड़े से जुड़ी थीं

लक्ष्मी नारायण ने कहा कि ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जाएगी। वह पिछले डेढ़ साल से किन्नर अखाड़े से जुड़ी हुई हैं। इससे पहले वह जूना अखाड़े के साथ थीं, लेकिन उनके गुरू ब्रह्मलीन होने के बाद वह दिशाहीन थीं और उन्होंने खुद किन्नर अखाड़े के साथ जुड़कर अखाड़े के वृंदावन स्थित आश्रम में सेवा करने की इच्छा जाहिर की है।

कैसे बनते हैं महामंडलेश्वर?

महामंडलेश्वर बनने के लिए शख्स वैराग्य में होना चाहिए। उसे अपने घर-परिवार समेत सभी रिश्तेदारों से संबंध तोड़कर संन्यास लेना पड़ता है। इसके बाद किसी अखाड़े के साथ जुड़कर
संस्कृत, वेद-पुराणों का अध्ययन करना जरूरी होता है। जीवन के चौथे चरण यानी वानप्रस्थाश्रम में महामंडलेश्वर बना जा सकता है। महामंडलेश्वर बनाने से पहले अखाड़े वेद, कथा, प्रवचन की परीक्षा लेते हैं। महमंडलेश्वर बनने के बाद व्यक्ति देश के कोने कोने में सनातन धर्म का प्रचार करता है।

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